भारत में सड़कों पर हजारों बेज़ुबान कुत्ते हर दिन अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हैं। ये कुत्ते, जिन्हें अक्सर ‘देसी कुत्ते’ कहा जाता है, न केवल हमारी सड़कों का हिस्सा हैं बल्कि हमारी संस्कृति और समाज का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन देसी कुत्तों को गोद लेने के कई फायदे हैं। आइए जानते हैं कि हमें इन्हें क्यों गोद लेना चाहिए और विदेशी नस्ल के कुत्ते क्यों नहीं खरीदने चाहिए।
1. *स्वस्थ और सहनशील: देसी कुत्ते हैं भारतीय जलवायु के अनुकूल*
2. *कम खर्च, ज्यादा प्यार: देसी कुत्तों की देखभाल है आसान*
3. *बेज़ुबान बेसहारा: देसी कुत्तों को अपनाकर समाज में फैलाएं सकारात्मकता*
4. *वफादारी में अव्वल: देसी कुत्ते देंगे असीमित प्रेम और सुरक्षा*
5. *ब्रीडिंग क्रूरता को कहें ना: देसी कुत्तों को अपनाकर दिखाएं जिम्मेदारी*
6. *अपनाएँ देसी कुत्ते, बचाएँ एक जीवन*
7. *विदेशी नहीं, देसी सही: अपनाएँ भारतीय नस्ल के कुत्ते*
8. *देसी कुत्ते: किफायती और सेहतमंद विकल्प*
9. *सड़कों से अपने घर तक: देसी कुत्तों को दें नया जीवन*
10. *भारतीय समाज के सच्चे साथी: अपनाएँ देसी कुत्ते*
देसी कुत्तों को गोद लेने के फायदे
1. स्वास्थ्य और सहनशीलता
देसी कुत्ते भारतीय जलवायु और परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं। वे बेहद सहनशील होते हैं और आसानी से बीमार नहीं पड़ते। इनके पास मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली होती है, जो उन्हें विभिन्न बीमारियों से बचाती है। जबकि विदेशी नस्ल के कुत्ते अक्सर भारतीय मौसम के प्रति संवेदनशील होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल और चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
2. कम रखरखाव
देसी कुत्तों का रखरखाव बहुत आसान और किफायती होता है। इन्हें विशेष आहार, महंगे शैंपू, और लगातार पशु चिकित्सक की जरूरत नहीं होती। वे साधारण भोजन पर भी स्वस्थ रह सकते हैं, जिससे आपके खर्चे भी कम होते हैं।
3. असीमित प्रेम और वफादारी
देसी कुत्ते बेहद वफादार और प्यार करने वाले होते हैं। वे अपने मालिकों के प्रति गहरी निष्ठा दिखाते हैं और परिवार के सदस्यों के साथ जल्दी घुलमिल जाते हैं। ये कुत्ते आपकी जिंदगी में असीम खुशियाँ और सकारात्मकता लाते हैं।
बेसहारा कुत्तों की स्थिति
भारत में सड़कों पर रहने वाले कुत्तों की स्थिति बेहद दयनीय है। उन्हें भोजन, पानी और आश्रय के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सड़कों पर रहने की वजह से ये कुत्ते कई बार दुर्घटनाओं, बिमारियों और इंसानों के क्रूर व्यवहार का शिकार हो जाते हैं। उन्हें गोद लेने से न केवल एक जीवन बचता है बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाता है।
सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी
देसी कुत्तों को अपनाना हमारी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है। ये कुत्ते हमारी सड़कों का हिस्सा हैं और हमारे समाज के प्रति उनकी सेवा अविस्मरणीय है। इन्हें अपनाकर हम एक जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय देते हैं।
विदेशी नस्ल के कुत्तों को न खरीदें
विदेशी नस्ल के कुत्तों को खरीदने के बजाय, देसी कुत्तों को अपनाना अधिक व्यावहारिक और नैतिक है। विदेशी कुत्तों की खरीदारी से अवैध ब्रीडिंग और पशु क्रूरता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, विदेशी कुत्ते अक्सर भारतीय मौसम और वातावरण में असहज होते हैं, जिससे उनकी देखभाल में कठिनाई होती है।
निष्कर्ष :-देसी कुत्तों को गोद लेना न केवल एक जीवन को बचाना है बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। ये कुत्ते स्वस्थ, सहनशील, और प्यार करने वाले होते हैं। इसलिए, जब भी आप एक पालतू कुत्ते को अपनाने का विचार करें, तो देसी कुत्तों को प्राथमिकता दें। इससे न केवल आपका जीवन खुशहाल होगा, बल्कि आप एक नेक कार्य भी करेंगे। विदेशी नस्ल के कुत्ते खरीदने के बजाय, देसी कुत्तों को अपनाकर हम एक बेहतर और अधिक सहानुभूतिपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।
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